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बोफोर्स घोटाला — भारतीय राजनीति का एक काला अध्याय

भारत के राजनीतिक इतिहास में कुछ घोटाले ऐसे हैं, जिन्होंने जनता का भरोसा हिलाकर रख दिया। बोफोर्स घोटाला (Bofors Scam) उन्हीं में से एक है। यह घोटाला केवल आर्थिक अपराध था, बल्कि भारतीय राजनीति में पारदर्शिता और नैतिकता की भी एक कड़ी परीक्षा थी।

घोटाले की पृष्ठभूमि

सन् 1980 के दशक में भारत को अपनी सेना के लिए आधुनिक तोपों की आवश्यकता थी। इस जरूरत को देखते हुए भारतीय सरकार ने स्वीडन की एक कंपनी बोफोर्स AB से 155 mm होवित्जर तोपें खरीदने का सौदा किया। यह सौदा लगभग 1,437 करोड़ रुपये में तय हुआ था।

क्या था घोटाला?

1987 में स्वीडिश रेडियो ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें कहा गया कि बोफोर्स कंपनी ने भारतीय अधिकारियों और राजनेताओं को कमीशन या रिश्वत दी थी ताकि वह सौदा उसे मिले। रिपोर्ट के अनुसार, कुल लगभग 64 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई।

इस घोटाले की खास बात यह थी कि इसमें सीधे तौर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम आया। हालांकि कोई कानूनी प्रमाण नहीं मिला कि उन्होंने खुद रिश्वत ली, लेकिन यह आरोप ज़रूर लगा कि उन्होंने इस सौदे में पारदर्शिता नहीं बरती और दोषियों को बचाया।

घोटाले के प्रभाव

  1. राजनीतिक नुकसानइस घोटाले के कारण 1989 में हुए आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी की करारी हार हुई और राजीव गांधी सत्ता से बाहर हो गए।
  2. जनता में अविश्वासपहली बार लोगों को यह समझ आया कि भ्रष्टाचार केवल छोटे स्तर पर नहीं, बल्कि उच्च स्तर पर भी व्याप्त है।
  3. भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि धूमिल हुईयह घोटाला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा में रहा, जिससे भारत की पारदर्शिता पर सवाल उठे।

जांच और अदालती प्रक्रिया

बोफोर्स घोटाले की जांच CBI ने की। कई नाम सामने आएजैसे ओत्तावियो क्वात्रोकी, जो एक इतालवी व्यापारी था और गांधी परिवार से जुड़ा हुआ बताया जाता था। भारत सरकार ने क्वात्रोकी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया, लेकिन वह भारत नहीं लौटाया जा सका

2004 में यूपीए सरकार के कार्यकाल में मामले को धीरेधीरे नर्म किया गया, और अंततः 2011 में अदालत ने सबूतों के अभाव में केस बंद कर दिया।

जनता की सोच में बदलाव

बोफोर्स घोटाले ने भारतीय मतदाता की सोच में बदलाव लाया। लोगों को यह एहसास हुआ कि एक ताकतवर सरकार भी जवाबदेह हो सकती है इसके बाद से भ्रष्टाचार एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बन गया, जिसने आगे चलकर अन्ना आंदोलन और नई राजनीतिक विचारधाराओं को जन्म दिया।